*🌷कुण्डली में होरा का महत्व🌷*
💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥 *वैदिक ज्योतिष में कई वर्ग कुण्डलियों का अध्ययन किया जाता है. कुण्डली का अध्ययन करते समय संबंधित भाव की वर्ग कुण्डली का अध्ययन अवश्य करना चाहिए. जिनमें से कुछ वर्ग कुण्डलियाँ प्रमुख रुप से उल्लेखनीय है.* *होरा कुण्डली से जातक के पास धन-सम्पत्ति का आंकलन किया जाता है. इस कुण्डली को बनाने के लिए 30 अंश को दो बराबर भागों में बाँटते हैं जिसमें 15-15 अंश के दो भाग बनते हैं. कुण्डली को दो भागों में बाँटने पर ग्रह केवल सूर्य या चन्द्रमा की होरा में आती है. कुण्डली दो भागों, सूर्य तथा चन्द्रमा की होरा में बँट जाती है. समराशि में 0 से 15 अंश तक चन्द्रमा की होरा होगी. 15 से 30 अंश तक सूर्य की होरा होगी. विषम राशि में यह गणना बदल जाती है. 0 से 15 अंश तक सूर्य की होरा होगी. 15 से 30 अंश तक चन्द्रमा की होरा होती है.* *उदाहरण के लिए माना मिथुन लग्न 22 अंश का हो तो यह विषम लग्न होगा है. विषम लग्न में लग्न की डिग्री 15 से अधिक है तब होरा कुण्डली में चन्द्रमा की होरा उदय होगी अर्थात होरा कुण्डली के प्रथ