
*💥 कुंडली में द्वितीय भाव-💥* *कुंडली के दूसरे घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में धन स्थान कहा जाता है तथा किसी भी व्यक्ति की कुंडली में इस घर का अपना एक विशेष महत्त्व होता है। इसलिए किसी कुंडली को देखते समय इस घर का अध्ययन बड़े ध्यान से करना चाहिए। कुंडली का दूसरा घर कुंडली धारक के द्वारा अपने जीवन काल में संचित किए जाने वाले धन के बारे में बताता है तथा इसके अतिरिक्त यह घर कुंडली धारक के द्वारा संचित किए जाने वाले सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात तथा इसी प्रकार के अन्य बहुमूल्य पदार्थों के बारे में भी बताता है। किन्तु कुंडली का दूसरा घर केवल धन तथा अन्य बहुमूल्य पदार्थों तक ही सीमित नहीं है तथा इस घर से कुंडली धारक के जीवन के और भी बहुत से क्षेत्रों के बारे में जानकारी मिलती है।* *कुंडली का दूसरा घर व्यक्ति के बचपन के समय परिवार में हुई उसकी परवरिश तथा उसकी मूलभूत शिक्षा के बारे में भी बताता है। कुंडली के दूसरे घर के मजबूत तथा बुरे ग्रहों की दृष्टि से रहित होने की स्थिति में कुंडली धारक की बाल्यकाल में प्राप्त होने वाली शिक्षा आम तौर पर अच्छी रहती है। किसी भी व्यक्ति के बाल्य काल मे