↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭↭
भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि मे श्री कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था इसलिए भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्मास्टमी के नाम से जाना जाता है।
एग्यारह अगस्त मंगलवार को प्रातःकाल सवा छः बजे तक सप्तमी तिथि है उसके बाद अष्टमी तिथि है दूसरे दिन बारह अगस्त बुधवार को प्रातःकाल आठ बजकर एक मिनट तक, चुंकि अष्टमी तिथि मध्य रात्रि मे एग्यारह अगस्त मंगलवार को है इसलिए मंगलवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत किया जायेगा और रात्रि में जन्मोत्सव मनाया जायेगा।
इस बार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र नहीं होगा,चुंकि नक्षत्र की अपेक्षा तिथि का ही अधिक महत्व है इसलिए एग्यारह अगस्त मंगलवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत होगा और उसी रात में भगवान का जन्मोत्सव मनाया जायेगा
पहला दिन:- जिस दिन भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म होता है और
दूसरा दिन:- रात्रि में भगवान श्री कृष्ण जी के जन्म के बाद दूसरे दिन लोग भगवान के नाम पर व्रत रखते हैं।
जिस दिन भगवान का जन्म होता है उस दिन के व्रत को श्री कृष्ण जन्माष्टमी (या श्री कृष्ण जयंती जन्मोत्सव)व्रत कहा जाता है।
और रात्रि में भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद दूसरे दिन जो व्रत किया जाता है उसे श्री कृष्णाष्टमी व्रत कहा जाता है।
इस बार एग्यारह अगस्त मंगलवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव व्रत है जबकि बारह अगस्त बुधवार को श्री कृष्णाष्टमी व्रत संपन्न होगा
आप अपनी श्रद्धा से या पारिवारिक परम्परा के अनुसार जिस भी दिन व्रत कीजिए फल एक समान ही मिलता है।
Comments
Post a Comment