नागपंचमी पूजा

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श्रावण मास में एक नाग पंचमी पूजा कृष्ण पक्ष में होती है और दूसरी नाग पंचमी पूजा शुक्ल पक्ष में होती है कृष्ण पक्ष के नाग पंचमी को मौना नाग पंचमी कहा जाता है और शुक्ल पक्ष के नाग पंचमी को नाग पंचमी कहा जाता है ।
नाग पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा करनी चाहिए नाग पंचमी पूजा हमारे सनातन शास्त्र में परिवारिक और पारंपरिक विधि से की जाती है ज्योतिष के दृष्टिकोण से नाग पंचमी पूजा वैसे लोगों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है जिन्हें राहु केतु और चंद्रमा के कारण जीवन में आर्थिक रूप से व्यावसायिक रूप से शारीरिक और मानसिक रूप से और सफलता मिलती है संतान नहीं होती है इलाज करने के बाद भी बीमारी ठीक नहीं होती सारे प्रयास करने के बाद भी व्यवसाय में कार्यालय में परिवार में और जीवन में सफलता नहीं मिलती इस दिन नाग पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा कीजिए नाग देवता के पूजा कीजिए दान दक्षिणा कीजिए और अपनी समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना कीजिए श्रावण मास कृष्ण पक्ष की नाग पंचमी समाप्त हो चुकी है अब 25 जुलाई को श्रावण मास शुक्ल पक्ष के नाग पंचमी है परंपरा के अनुसार नाग पंचमी के दिन घर के दीवार पर चारों ओर नाग देवता के शरीर से लपेट दिया जाता है घर के द्वार पर नाग देवता का चित्र बनाया जाता है पूजा का विधि परंपरा के अनुसार उचित ।
 जिनके परिवार में कोई मां गर्भवती हैं उस परिवार में केवल द्वार पर नाग देवता का चित्र बनाएंगे किंतु अपने घर को नाग देवता से बांधेंगे नहीं दही का खेल दूध का खीर नीम का पत्ता नींबू तालाब के शैवाल आदि से गाय के कच्चे दूध धान का लावा आदि से नाग देवता की पूजा होती है किंतु जो लोग राहु केतुऔर चंद्रमा के कारण अपनी असफलता को दूर करने के लिए नाग पंचमी के दिन श्री शंकर भगवान और नाग देवता की पूजा करेंगे उन्हें वैसे ही पूजा करनी है जैसे और दिन महाशिवरात्रि आज में शंकर भगवान की पूजा करते हैं।
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