सूर्यग्रहण

 🌍🌞सूर्यग्रहण🌞🌍
आषाढ़ कृष्णपक्ष अमावस्या🌚 21-6-2020 दिन रविवार को  भारतवर्ष के अधिकतम  स्थानों पर सूर्यग्रहण लग रहा है जो कि स्पष्ट रूप से दिखाई भी देगा ।
भारतीय समयानुसार ग्रहण दिन के 10:16am में स्पर्श,  12:18pm में मध्य एवम 02:04pm पर मोक्ष करेगा.                              यानी कि पूरा ग्रहण काल दिन के 10:16am से लेकर दोपहर 02:04pm तक रहेगा
🙏धर्मशास्त्रों के अनुसार सूर्यग्रहण में 12 घंटे पहले से ही सूतक लग जाता है.. सूतक और ग्रहण काल में भोजन नही करना चाहिए। पूजा-पाठ , मूर्ति पूजन इत्यादि भी नही करना चाहिए..
इसमें बालक , वृद्ध और रोगी भोजन कर सकते है
विभिन्न राशियों के फल:-
यह ग्रहण मृगशिरा एवं आद्रा नक्षत्र तथा मिथुन राशि मन्डल पर मान्य हैं। अतः इन राशि नक्षत्र वालों कों ग्रहण दर्शन नही करना चाहिए। अपितु अपने इष्टदेव कि आराधना,गुरुमंत्र जाप, एवं धार्मिक ग्रंथो का पठन पाठन करना चाहिए।
मेष, सिंह, कन्या, मकर ,राशि हेतु दर्शन करना शुभ ।
वृषभ,तुला,धनु,कुंभ राशि हेतु सामान्य मध्यम फल एवं मिथुन, कर्क,वृश्चिक,मीन राशि हेतु नेष्ट अशुभ दर्शन योग्य नही।

यह सूर्यग्रहण महिला, नवविवाहिता, कन्या, विवाह योग्य बालक-बालिका, उधोगपति,मन्त्री,धर्मनेता,पर भी प्रभार सूचक दर्शन योग्य नही।

🔴🟠⚫गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल मे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ।।                         अपने शरीर को कंडा से या धागा से मापना चाहिए..एवम ग्रहणकाल मे सोना और भोजन करना निषेध है

हमारी हिन्दू संस्कृति में ग्रहण का विशेष महत्त्व होता है। खगोलशास्त्री के लिए ग्रहण एक खगोलीय घटना है वहीं ज्योतिष शास्त्र के लिए ग्रहण भविष्य संकेत का एक अहम पड़ाव होते हैं। ग्रहण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-

इनके भी विविध प्रकार होते हैं जैसे खग्रास या पूर्ण, खंडग्रास, मान्द्य, कंकणाकृति आदि। बहरहाल, ग्रहण को चाहें खगोलीय घटना कहें या ज्योतिष व धर्म से इसे सम्बन्धित करें एक बात निर्विवाद रूप से सत्य है कि ग्रहण हमारी पृथ्वी एवं इस पर रहने वाले समस्त जीवों को न्यूनाधिक रूप से प्रभावित अवश्य करते हैं।

खगोलशास्त्र की मानें तो ग्रहण के समय सूर्य व चन्द्र से कुछ ऐसी किरणों का उत्सर्जन होता है जो हमारे लिए हानिकारक होता है वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष राशि व जन्मकुण्डली वाले व्यक्ति इससे अधिक प्रभावित होते हैं। वर्ष 2020 में सूर्यग्रहण 21 जून को होगा।

21 जून को होने वाला यह ग्रहण खण्डग्रास/कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा। यह ग्रहण मृगशिरा व आर्द्रा नक्षत्र व मिथुन राशि पर मान्य होगा। यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत में दृश्यमान होने के साथ-साथ बांग्लादेश, श्रीलंका, रूस, अफ़्रीका, ईरान, ईराक, नेपाल व पाकिस्तान में भी दिखाई देगा। भारत में दृश्यमान होने के कारण इस सूर्यग्रहण के समस्त सूतक-यम-नियम भारतवासियों पर लागू होंगे।


उपर्युक्त शास्त्रीय निर्देशानुसार मध्यम व अशुभ फल वालों को ग्रहण का दर्शन करना नेष्टकारक व वर्जित रहेगा। ग्रहण काल में साधकों व समस्त श्रद्धालुओं के लिए दान, मंत्र जप,स्वाध्याय, ईष्टदेव का मानसिक आराधना करना श्रेयस्कर रहेगा।


 🙏🙏विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क करें
     पं: अभिषेक शास्त्री 
    (वाराणसी)
     🙏बहुत बहुत धन्यवाद🙏
      🙏 जय श्री कृष्णा🙏

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