॥गायत्री मन्त्र के कुछ प्रयोग:॥

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👉शारीरिक तथा मानसिक रोगों और पाप ग्रहों की शान्ति के लिए दूध में भीगी हुई शमी,पीपल या वट वृक्ष की समिधाओं से 1000 गायत्री मन्त्रों द्वारा होम करें | हवन के बाद जल से सूर्य को तर्पण दें |
👉शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे 100 बार गायत्री  मन्त्र का जाप करने से रोग तथा अभिचार से मुक्ति मिलती है |
👉गिलोय के टुकड़ों को क्षीर में भिगो कर गायत्री मन्त्र से अग्नि में आहुति देना मृत्युंजय होम कहा गया है जो सम्पूर्ण व्याधियों को नष्ट करने वाला है |
👉गायत्री मन्त्र द्वारा, ज्वर में दूध में भीगे आम के पत्तों से ,मिर्गी में अपामार्ग के बीजों से ,प्रमेह में गूलर की समिधा तथा मधु या गन्ने के रस से हवन करना रोग शान्ति करता है |
👉गायत्री का जाप करते हुए कुशा द्वारा रोगी का स्पर्श करने से रोगी को आराम मिलता है |
👉लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गायत्री मन्त्र द्वारा लाल पुष्पों अथवा बिल्व पत्र या पुष्पों से हवन करना चाहिए |
👉पुत्र लाभ के लिए क्षीर द्वारा  गायत्री मन्त्र से हवन करें तथा भगवान् सूर्य को क्षीर का भोग लगा कर ऋतु स्नाता ब्राह्मणी को भोजन कराएं |
👉लड़के या लड़की के विवाह में बाधा या विलम्ब हो रहा हो तो गायत्री मन्त्र द्वारा त्रि मधु( घी,मधु ,शक्कर) युक्त खील से हवन कराने  पर बाधाओं का निवारण होता है और  पुरुष को वधु तथा कन्या को वर की शीघ्र  प्राप्ति होती है
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