महाशिवरात्रि



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*4 मार्च को इस शुभ मुहूर्त में करेंगे पूजन तो होगी भगवान शिव की विशेष कृपा*

फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को महाशिवरात्रि पर्व होता है। इस वर्ष यह महापर्व 4 मार्च, सोमवार को श्रवण नक्षत्र और परिघ नामक महत्वपूर्ण योग में पड़ रहा है। शिवशाक्त में इस महापर्व का उल्लेख करते हुए ऋषियों की वाणी है कि ,शिवरात्रि पर साक्षात् शिव-शक्ति अर्थात् पार्वती के साथ त्रिलोक में विचरण करते हैं।तथा इसी दिन शिव-विवाह का प्रमाण भी प्राप्त होता है।

महाशिवरात्रि को कब करें शिव का पूजन

शिवरात्रि को जन्म जन्मांतर तक भ्रमित जीव मात्र को शिव आराधना-पूजा से भय एवं शोक से मुक्ति मिलती है-'जन्तुजन्म सहस्रेषु भ्रमन्ते नात्र संशय:'। ज्‍योतिषाचार्य पंडित चक्रपाणि भट्ट के अनुसार इस वर्ष शिव-पूजन प्रारम्भ करने का शुभ विशेष मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 43 मिनट से सायं 4 बजकर 18 मिनट तक सर्वार्थ योग में है। रात्रि पर्यंत रुद्राभिषेक करने से आराधक को शक्ति के साथ शिव का सायुज्य प्राप्त होता है। संकल्प के साथ शिव का षोडशोपचार पूजन करने से व्यक्ति के भीतर का शोक,भय जैसे अनेक दुर्गुण नष्ट हो जाते हैं।

भगवान शिव को अर्पित करें

शिव को भांग,बेल्पत्र,धतूर,मदार,भस्म अर्पित करने का विधान है। चूंकि शिव का अर्थ कल्याण होता है,इसलिए विश्व के कल्याण हेतु शिव विषपान के साथ-साथ समस्त हानिकारक वस्तु स्वयम् ग्रहण करके संसार को अमृत प्रदान करते हैं। इसी कारण से शिव को धतूर आदि अर्पित किया जाता है। समस्त कल्याणकारी वस्तुओं को स्वयम् ग्रहण कर सृष्टि को स्वच्छ एवं कल्याणकारी बनाना ही शिवत्व है।

शिव-पूजन के पूर्व संकल्प

पूजन के पहले संकल्‍प लेना आवश्यक होता है, जो इस प्रकार है- 'मम इह जन्मनिजन्मांतरे वा सकल पाप भय क्षयार्थम आयु:आरोग्य ऐश्वर्य पुत्र पौत्रादि व्यापार आदि सकल मनोरथ पूर्तये शिवरात्रि दिनोत्सव शिव पूजनम करिष्ये।' संकल्प के बाद शिवलिंग को पंचामृत अर्थात क्रमशःदूध दही घी शहद चीनी से स्नान करा कर विधिवत श्रृंगार पूर्वक पुष्पादि अर्पित कर कन्द-मूल ऋतुफल भांग-बेल्पत्र चढ़ाने से शिव अर्थात् सन्तुष्टि की प्राप्ति होती है। पूजनोपरांत 'ॐनम:शिवाय शिवाय नम:' इस एकादशाक्षरी महामंत्र का यथा सम्भव अधिक से अधिक जाप करने से वर्ष पर्यंत शिव की कृपा बनी रहती है।

भगवान शिव का श्रंगार 

शिवपुराण में चन्दन,भस्म,अबीर दूब जनेऊ तथा वस्त्रादि से देवाधिदेव का श्रृंगार माहात्म्य कहा गया है।धूप दीप नैवेद्य पान सुपारी लौंग इलायची समर्पित कर सुगन्धित इत्र का लेपन करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती है।शिवरात्रि पर रात्रि जागरण करते हुए शिव स्तोत्र का पाठ या रुद्राभिषेक करने से नर-नारी समस्त वैभव को प्राप्त करते हैं।

महाशिवरात्रि का महत्‍व व स्‍तुति मंत्र 

वर्ष में तीन रात्रि की प्रधानता बताई गई है—कालरात्रि महारात्री एवं मोहरात्रि ।नवरात्रि की सप्तमी कालरात्रि,शिवरात्रि महारात्री तथा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मोहरात्रि बताई गई है।इन तीनों में शिवरात्रि का विशेष महत्व वर्णित है।तन्त्र-शास्त्र के अनुसार महारात्री को साधक मन्त्रों की सिद्धी भी करते हैं।विश्व-कल्याण का प्रत्येक क्षण शिव के चरणों से होकर ही निकलता है।

शिव का स्तुति-मन्त्र अष्टाध्यायी में इस प्रकार आता है-“ॐ नम:श्म्भ्वायच मयोंभवायच नम:शंकरायच मयस्करायच नम:शिवायच शिवतरायच ।। यदि शिवरात्रि के दिन बेलपत्र पर “राम-राम “लिख कर शिव को अर्पण किया जाय तो हरि अर्थात् विष्णु एवं हर अर्थात् शिव की विशेष कृपा होती है।

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