बुध भी विवाह के मामले में चुप नहीं हैं श्री एच. भूतलिंगम ने अपने एक लेख में लिखा है कि यदि बुध सातवे भाव में गुलिक के साथ बैठा हुआ हो एवम उसे शनि और मंगल देखते हो तो जातक अथवा जतिका का विवाहित जीवन बहुत दुःखी होता है। यदि इस विशेष योग में बुध बढ़काधिपती भी भयंकर हो तो यह योग और भी भयंकर हो जाता है। ऐसी अवस्था में एक साथी (स्त्री या पुरूष) बीमारी और दुःख के कारण पागल तक हो जाता है।
महिलाओं की कुंडली में आठवें भाव, उसके स्वामी की स्थिति, कारक शुक्र आदि के बलवान का विचार करना चाहिए।
उनकी लग्न बलवान होना एवं जल तत्व की राशि का होना उयुक्त होता है। 'कुल दोष' के अलावा उनकी कुंडलियों में द्व्तीय स्थान {लग्न से} शुक्र से द्वित्य स्थान, चन्द्रमा से द्वितीय स्थान एवं सप्तमेश इ द्वितीय स्थान में पाप गृह नहीं होने चाहिए।
For More Information......उनकी लग्न बलवान होना एवं जल तत्व की राशि का होना उयुक्त होता है। 'कुल दोष' के अलावा उनकी कुंडलियों में द्व्तीय स्थान {लग्न से} शुक्र से द्वित्य स्थान, चन्द्रमा से द्वितीय स्थान एवं सप्तमेश इ द्वितीय स्थान में पाप गृह नहीं होने चाहिए।
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