पुरुषों की कुंडलियों में सातवें भाव का स्वामी बहुत बलवान और पाप ग्रहों से अदृष्ट होना चाहिए। सातवे भाव का स्वामी के स्वामी से केन्द्र स्थान अग्नि तत्त्व वाला ग्रह नहीं होना चाहिए। सातवे भाव का कारक शुक्र भी पाप ग्रहों से दृष्ट एवम मंगल या शनि से घिरा रहना भी सुखी विवाहित जीवन की दृष्टि से ठीक नहीं है।
शुक्र का सातवें भाव के स्वामी के साथ होना सुखी विवाहित जीवन प्रकट करता है, लेकिन यहां अगर सप्तम भाव का स्वामी सूर्य, मंगल और शनि हो तो यह बात पूर्णतया लागू नहीं होगी, बल्कि वैवाहिक जीवन दुःखपूर्ण भी हो सकता है।
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