पारद लक्ष्मी गणेशजी की मूर्ति सब मूर्तियों में श्रेष्ठ बताई गई हैं देवी श्री लक्ष्मी ने स्वयं भगवान विष्णु से कहा था कि जिस स्थान पर मेरी पारद प्रतिमा की पूजा हो गई उस स्थान पर सदैव मेरा वास होगा, देवी लक्ष्मी देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं जोकि भगवान विष्णुजी की पत्नी हैं यह धन,सुख सुविधा एवम् ऐश्वर्य प्रदान करने वाली हैं और इनके साथ ही इनके मानस पुत्र भगवान गणेशजी की पूजा का विधान हैं इसी कारण इन दोनों की पूजा एक साथ होती हैं भगवान गणेशजी स्वयं ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं सारे विध्नों के विनाशक हैं, शुभ हैं। विशेष मंगलकारक हैं इनकी कृपा से धन प्राप्ति में आने वाली सारी विध्न - बाधाएँ नष्ट होती हैं जिससे धनागम के द्वार खुल जाते हैं जिस स्थान पर देवी लक्ष्मी का वास होता हैं वहाँ कभी भी धन का अभाव नहीं होता एवम् वहाँ के लोगों को कोई परेशानी नहीं होती। पारद लक्ष्मीगणेश की मूर्ति को स्थापित करने से आपको धन की प्राप्ति काफी अधिक मात्रा में होने लगती हैं जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं रहता हैं घर में सभी प्रकार की सुख, शांति, समृद्धि बनी रहती हैं। आपको हर काम में सफलता एवम् नौकरी में आने वाली बाधा एवम् नौकरी और व्यापार में उन्नति होती हैं दिवाली की रात को मिट्टी की मूर्ति के स्थान पर पारद लक्ष्मी गणेश को अपने घर में रखें। देवी लक्ष्मी ने स्वयं भगवान विष्णु से कहा हैं कि जो व्यक्ति दिवाली की रात को मेरी पारद मूर्ति की पूजा करता हैं उसे कभी भी धन की कमी नहीं होगी उसके साथ सदैव मैं रहूंगी। दिवाली को इन दोनों की पारद मूर्ति की पूजा करने से ये जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनचाही मनोकामना को पूरा करते हैं और उस पर अपनी कृपा सदा बनाए रखते हैं पारद धातु स्वयं सिद्ध धातु होती हैं दिवाली को मिट्टी की मूर्ति के स्थान पर पारद लक्ष्मी गणेश की पूजा करें आप इसे अपने घर, व्यवसाय स्थल, फैक्टरी, एवम् दुकान कार्यालय आदि में भी स्थापित कर सकते हैं। शुभ नक्षत्र द्वारा हवन द्वारा प्राण प्रतिष्ठित एवम अभिमंत्रित पारद प्रतिमा प्राप्त करने के लिए सम्पर्क करे।
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