आप जानते हैं ? . अमावस होती क्या है ?.... और पूरणमाशी क्या होती है ?

🌹नारायण ज्योतिष परामर्श🌹

आप जानते हैं  ? .
अमावस होती क्या है ?....
और
पूरणमाशी क्या होती है ?



पूर्ण माशी क्या होती है ? यदि जानते हैं तो अच्छी बात है ! पर जो नही जानते हम उन्हें तनिक समझाना चाहेंगे ! सुबह ही एक बहन गीता शर्मा जी की रिक्वेस्ट आई थी की अमावस के ऊपर कोई उपाए बताऊँ ! में उदित होते हैं और लगभग एक ही समय में अस्त होते हैं ! यही कारन है की हम अमावस को चन्दर नही देख पा सकते ! सूर्य एक दिन में लगभग 60 कला चलता है तो चन्दर्मा लगभग 800 कला ! इस लिए सूर्य से काफी आगे निकल जाता है ! आपस में दुरी बढ़ जाने से उदय अस्त के समय में निरंतर समय बढ़ता जाता है ! दूज के दिन से चन्दर दिखाई देना इसी कारन शुरू शुरू हो जाता है ! जितना फैसला बढ़ता जाता है

आप जानते ही हैं की ब्रह्माण्ड 360 अंश का है ! इसे बारह राशियों में बनता गया है ! 30 अंश की एक राशि के हिसाब से ! चन्दर इन सभी राशियों को जितने समय में पार करता है उस समय का नाम चंदर्मास है ! अढ़ाई दिन एक राशि को पार करने में लगते हैं चन्दर को तो 12 राशियों को पार करने में एक माह लगा ! इसी को चंदर्मास कहा जाता है ! अमावस के दिन सूर्य और चन्दर माँ इकठे होते हैं. एक ही समय चन्दर्मा बढ़ता जाता है ! 15 दिन में फासला इतना बढ़ जाता है की 180 अंश की दूरी हो जाती है. ! तब दोनों बिलकुल आमने सामने होते हैं ! इसी वक़्त जब सूर्य उदय होता है तो चन्द्र अस्त हो रहा होता है ! जब सूर्य डूब रहा होता है तो चन्दर उदय हो रहा होता है ! इस के बाद दूरी काम होनी शुरू हो जाती है ! 15 दिन में यह दुरी काम होते होते बिलकुल समाप्त हो जाती है ! इसी रात को अमावस की रात कहते हैं ! आप ने देखा चन्द्र 15 दिन बढ़ता है 15 दिन घटता है ! बढ़ने वाले 15 दिन को हम शुक्ल (चानना ) पक्ष कहते हैं ! घटने वाले पक्ष को कृष्ण पक्ष यानि (काला पक्ष ) कहते हैं ! इसी कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि को कृष्ण जी पैदा हुए थे !

शुकल पक्ष की अंतिम रात्रि को पूर्ण माशी कहते है और  कृष्ण पक्ष की अंतिम रात्रि को अमावस कहते हैं !



उपाए :

कृष्ण पक्ष को यानि काले पक्ष में कहते हैं पितरों का सम्राज्य होता है ! तो अमावस के दिन अपने मृत पूर्वजों का ध्यान कर के उन के नाम का भोजन दान करने से पितरों की विशेष किरपा होती है ! यह भोजन ब्राह्मण अथवा साधु को या फिर भिखारी को भी खिलाया जा सकता है !

अगले शुक्ल पक्ष में देवताओं का साम्राज्य होता है ! पूरणमाशी यानि जिस दिन चन्द्रमा आकाश में पूरा होता है और फिर यह शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन भी होता है ! इस दिन को मंदिर में दूध चावल और मिश्री देने से देवता विशेष प्रसन्ता अनुभव करते  है !
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