वृहस्पति ग्रह की अशुभता अथवा इससे उत्पन्न कष्ट निवारण के उपाय

वृहस्पति ग्रह की अशुभता अथवा इससे उत्पन्न कष्ट निवारण के उपाय
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वैदिक- तांत्रिक -लाल किताब
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ग्रहों में वृहस्पति सामान्यतया एक शुभ ग्रह माना जाता है ,किन्तु कुंडली में इसकी अशुभ भावों का स्वामी होना ,अथवा अशुभ प्रभाव में होना अथवा कमजोर होकर अशुभ स्थानों में स्थित होना अथवा अति प्रभावशीलता कष्ट कारक भी हो जाती है ,जिसका निराकरण आवश्यक होता है |किसी ग्रह की अशुभ स्थिति अथवा कमी अथवा अति प्रभाव सभी असंतुलन उत्पन्न करते हैं जिन्हें संतुलित किया जाना आवश्यक होता है |कमी से तो कमियां उत्पन्न होती ही हैं अति सक्रियता या अधिक प्रभाव भी अनेक समस्याएं उत्पन्न करता है |इस ग्रह को देवताओं का गुरु माना जाता है अतः सामान्य भाषा में इसे गुरु कहा जाता है |यह बुद्धि ,विद्वत्ता ,उत्साह ,ज्ञान ,मांगलिक अवसर ,शुभता का कारक माना जाता है |
गुरू ग्रह धनु और मीन राशि का स्वामी है। यह दूसरे, पाँचवें व नववें भाव का विशेष कारक होता है। विद्या, विवाह, धार्मिक भावना एवं अध्यात्म का प्रमुख कारक है। इसकी प्रतिकूलता होने पर उच्च शिक्षा में व्यवधान आता है। आध्यात्मिक और नैतिक भावनाऐं कम होती हैं, विवाह संबंध में परेशानी, संतान हानि, गले में खराबी, बुध्दि भ्रम इत्यादि होते हैं |इसकी अधिक प्रभावशीलता से व्यक्ति अहंकारी हो जाता है ,उसे अपने ज्ञान का घमंड हो जाता है ,लोगों को और व्यावहारिक ज्ञान को तुच्छ समझता है |शास्त्रीय और किताबी ज्ञान का भण्डार हो जाता है |ज्ञान तो बहुत हो जाता है पर उपयोगिता कम हो जाती है |हर समय उपदेश की आदत पड़ने लगती है |अति नैतिकता ,आदर्श समाज से अलग कर देती है ,जिससे क्रोध-कुधन-अवसाद हो सकता है |समाज में अलोकप्रिय होने लगता है |
गुरु ग्रह वृहस्पति की शान्ति के उपाय के लिए खुद निर्णय की अपेक्षा एक बार योग्य विद्वान् ज्योतिषी से परामर्श करके कम से कम यह जरुर जानना चाहिए की यह आपके लिए शुभ है या अशुभ |अशुभ है तो क्यों |बल की कमी है या अशुभ अधिपति अथवा अशुभ प्रभाव में है |बल की कमी में भी दान कदापि न करें जबकि यह शुभ भी हो ,किन्तु बल की कमी से शुभ प्रभाव न दे पा रहा हो |अशुभ हो तब ही दान करें |अति प्रभाव में भी दान करें |कम बल होने पर इसके प्रभाव बढाने के उपाय करें |कष्ट कारक होने पर शान्ति के और प्रसन्नता के उपाय करें |इसकी स्थिति के अनुसार निम्न उपाय किये जा सकते हैं |यह उपाय एक समग्र आकलन हैं ,सभी उपाय सभी के लिए हितकर हों आवश्यक नहीं ,अतः समझकर उपाय करें |
गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
वैदिक और तंत्रिकीय उपाय
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 गुरु ग्रह  शांति के लिए कुछ शास्त्रीय उपाय प्रस्तुत हैं। इनमें से किसी एक को भी करने से अशुभ फलों में कमी आती है और शुभ फलों में वृद्धि होती है।
गुरु के लिए : समय संध्या समय।
 वृहस्पति को देव गुरु कहा जाता है और भगवान् विष्णु की आराधना से इनकी शान्ति होती है |
भगवान् शिव समस्त प्रकार की शान्ति करते हैं अतः भगवान शिव का पूजन करें। श्रीरुद्र का पाठ करें।
गुरु की शान्ति के लिए गुरु के बीज मंत्र का संध्या समय 19,000 जप 40 दिन में करें।
मंत्र : 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:।'
दान-द्रव्य : पुखराज, सोना, कांसी, चने की दाल, खांड, घी, पीला कपड़ा, पीला फूल, हल्दी, पुस्तक, घोड़ा, पीला फल दान करना चाहिए।
बृहस्पतिवार व्रत करना चाहिए।केले और विष्णु की पूजा करनी चाहिए | रुद्राभिषेक करना चाहिए। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
तंत्रिकीय और मूल प्रकृतिय अवधारणा को दृष्टिगत रखें तो महाविद्या बगलामुखी और गुरु में साम्य है ,दोनों विष्णु से भी सम्बंधित हैं और परम सात्विक भी |ऐसे में बगलामुखी की आराधना गुरु गृह की शान्ति कर देती है |यद्यपि कहा तो यहाँ तक जाता है की बगलामुखी की साधना समस्त ग्रहों के प्रभाव शांत और शुभ कर देती है |किन्तु सभी के लिए साधना सम्भव नहीं अतः आराधना और पूजा किया जाए तो गुरु की शान्ति हो जाती है |गुरु पुष्य योग में अभिमंत्रित केले की जड धारण करने से गुरु की शान्ति भी होती है और इनका प्रभाव भी बढ़ता है |अनेक बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है |
अन्य उपाय निम्न प्रकार हैं ---
१- गुरु शुभ हो अथवा अशुभ इनके मंत्र जप करने से लाभ ही होता है नुक्सान नहीं ,क्योकि यह उन्हें शांत और प्रसन्न करता है |अतः इनके मन्त्र का जप किसी भी स्थिति में किया जा सकता है |गुरू ग्रह संबंधी अरिष्ट शांति हेतु भगवान श्री आदिनाथ जी का चालीसा, श्री नवग्रह शांति चालीसा एवं श्री नवग्रह शांति विधान  उत्तम उपाय है।
 २- ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
 ३- सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
 ४-  ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
 ५-  किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
 ६-  ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
 ७- गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
 ८-  गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
  ९-  केसर का तिलक रोजाना लगाएँ या कुछ मात्रा में केसर खाएँ और नाभि या जीभ पर लगाए| इससे गुरु के बल और प्रभाव में वृद्धि होती है |
 10   बृ्हस्पति के लिए चने की दाल या पिली वस्तु दान करें, दाल दान तब करें जब गुरु का प्रभाव कम करना हो |
 11-  गुरु ग्रह को शुभ बनाने के लिए सबसे प्रभावी उपाय है गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करना। केले के पौधे को हल्दी युक्त जल अर्पित करें।
 १२- बरगद के पेड़ में हर गुरुवार हल्दी युक्त कच्चा दूध चढ़ाएं।
 १३- यदि संभव हो तो गुरु-पुष्य योग में केले की जड़ अपनी दाहिनी बांह पर बांधें। ये व्यापार की वृद्धि में सहायक होगा |
 १४- पीली कदली के पुष्पों को घर में लगाएं और गरीबों को पीली वस्तु और पुस्तकें दान करें।
 लाल किताब के अनुसार  देव गुरु वृहस्पति के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगे, सोना खो जाये या चोरी हो जावे, शिक्षा में बाधा आवे, अपयश होवे तब माथे पर केशर का तिलक लगावें, कोइ भी अच्छा काय करने के पूर्व अपना नांक साफ करें । दान में हल्दी, दाल, केसर आदि देवें व ब्रम्हा जी की पूजा करें ।...............................................................
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