केतु के उपाय

abhishekpandey1144bloggerpost.com🙏नारायण ज्योतिष परामर्श🙏

*🌷केतु ग्रह के प्रभाव और उपाय🌷*

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*केतु का पहले भाव में फल- यदि केतु इस घर में शुभ है, तो जातक श्रमसाध्य, अमीर और खुशहाल होगा। लेकिन अपनी संतान की वजह से हमेशा चिंतित और परेशान होगा। वह लगातार स्थानान्तरण या यात्रा डरा रहेगा लेकिन अंत में यह हमेशा ये स्थगित हो जाया करेंगे। जब वर्ष कुंडली में केतू पहले घर में आता है तो जातक के घर पुत्र या या भतीजे का जन्म हो सकता है। लम्बी यात्रा भी हो सकती है। सूर्य की उच्चता के कारण ऐसा जातक हमेशा अपने माता पिता और गुरुजनों के लिए फायदेमंद होगा। यदि पहले घर में केतु अशुभ हो तो जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा। उसकी पत्नी स्वास्थ्य समस्याओं और बच्चों से संबंधित चिंताओं से ग्रस्त होगी। यदि दूसरा और सातवां घर खाली हो तो बुध और शुक्र भी बुरे परिणाम देते हैम। बिना फायदे के स्थानांतरण और यात्राएं होंगी। यदि शनि नीच का हो तो यह पिता और गुरु को नष्ट करेगा। यदि सूर्य सातवें या आठवेम स्थान में हो तो पोते के जन्म के बाद स्वास्थ्य खराब रहेगा। सुबह और शाम के समय भीख नहीं देनी चाहिए।उपाय:*

*(1) बंदरों को गुड़ खिलायें।*
*(2) केसर का तिलक लगाएं।*
*(3) यदि संतान से परेशान है तो मंदिर में काले और सफेद रंग वाला कंबल दान करें।*

*केतु का दूसरे भाव में फल- दूसरा घर चंद्रमा से प्रभावित होता है, जो केतु का शत्रु ग्रह है। यदि दूसरे भाव में स्थित केतू शुभ है तो जातक को पैतृक सम्पत्ति मिलती है। जातक खूब यात्राएं करेगा और यात्राओं से लाभ मिलेगा। ऐसी स्थित में शुक्र अपनी स्थिति के अनुसार अच्छे परिणाम देता है। चंद्रमा बुरे परिणाम देता है। यदि सूर्य 12 वें घर में हो जातक अपनी उम्र के चौबीस साल के बाद से अपनी आजीविका कमाना शुरू कर देता है। यदि केतू के साथ उच्च का बृहस्पति हो तो लाखों की आमदनी होगी। यदि दूसरे भाव में स्थित केतू अशुभ है तो जातक सूखे इलाकों की यात्राएं करेगा। जातक एक जगह पर आराम नहीं कर सकेगा और वह जगह-जगह भटकता रहेगा। आमदनी अच्छी होगी लेकिन, खर्च भी उतना ही हो जाएगा। इसप्रकार वास्तविक लाभ नगण्य हो जाएगा। यदि चंद्रमा या मंगल आठवें घर में हों तो जातक अल्पायु होगा और उसे सोलह या बीस साल की उम्र में गंभीर समस्या होगी। यदि आठवां घर खाली हो तो भी केतू बुरे परिणाम देगा।उपाय:*

*(1) माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।*
*(2) चरित्र का ढीला नहीं होना चाहिए।*
*(3) यदि मंदिरों की धार्मिक यात्रा करें और मंदिरों में सिर झुकाएं तो दूसरे भाव का केतू अच्छे परिणाम देगा।*

*केतु का तीसरे भाव में फल तीसरा घर बुध और मंगल से प्रभावित होता है, दोनो ही केतू के शत्रु हैं। तीन की संख्या जातक के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि तीसरे भाव का केतू शुभ है तो जातक के बच्चे अच्छे होंगे। जातक सभ्य और भगवान से डरने वाला होगा। यदि केतू तीसरे भाव में हो और मंगल बारहवें भाव में हो तो जातक को चौबीस साल से पहले पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्र जातक के धन और दीर्घायु के लिए अच्छा होता है। तीसरे भाव के केतू वाला जातक लम्बी यात्राओं वाली नौकरी करता है। यदि तीसरे भाव का केतू अशुभ हो तो लातक मुकदमेबाजी में पैसे खर्च करता है। वह अपनी पत्नी या शालियों से अलग हो जाता है। ऐसा जातक दक्षिण मुखी घर में रहता है। उसे बच्चों से सम्बंधित गंभीर समस्याएं रहती हैं। ऐसा जातक किसी भी बात के लिए न नहीं कहता इसलिए वह हमेशा परेशान रहता है। जातक को अपने भाइयों से परेशानी होती है और वह बेकार की यात्रा करेगा।उपाय:*

*(1) माथे पर केसर का तिलक लगाएं।*
*(2) सोना पहनें।*
*(3) बहते पानी में चावल और गुड़ बहाएं।*

*केतु का चौथे भाव में फल चौथा भाव चंद्रमा का होता है जो कि केतू का शत्रु है। यदि चतुर्थ भाव में शुभ केतू स्थित हो तो जातक, भगवान से डरने वाला और अपने पिता तथा गुरु के लिए भाग्यशाली होता है। ऐसे जातक को गुरु के आशीर्वाद के बाद ही जातक को पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्र दीर्घायु होगा। ऐसा जातक अपने सभी निर्णय भगवान पर छोड़ देता है। यदि चन्द्रमा तीसरे या चौथे घर में हो तो शुभ परिणाम मिलते हैं। ऐसा जातक एक अच्छा सलाहकार होता है। उसे कभी भी पैसे की कमी नहीं रहती। यदि केतू इस भाव में अशुभ हो तो जातक अप्रसन्न रहेगा, उसकी मां को कष्ट होगा, खुशियां कम होंगी। जातक मधुमेह रोग से पीडित होगा। छत्तीस साल की उम्र के बाद ही बेटा पैदा होगा। ऐसा जातक को पुत्र की तुलना में पुत्रियां अधिक होती हैं।उपाय:*

*(1) एक कुत्ता पालें।*
*(2) मन की शांति के लिए चांदी पहनें।*
*(3) बहते पानी में पीली चीजें बहाएं।*

*केतु का पांचवें भाव में फल- पांचवां घर सूर्य का होता है। यह बृहस्पति से भी प्रभावित होता है। यदि बृहस्पति, सूर्य या चंद्रमा चौथे, छठवें या बारहवें घर में हों तो आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी होगी और जातक को पांच पुत्र होंगे। चौबीस साल की उम्र के बाद केतू स्वयमेव शुभ हो जाता है। यदि पांचवें भाव में केतू अशुभ हो तो जातक अस्थमा से पीडित हो सकता है। केतू पांच साल की उम्र तक अशुभ परिणाम देता है। संतान जीवित नहीं रहती। उम्र के चौबीस साल बाद ही आजीविका शुरू होती है। जातक अपने पुत्रों के लिए शुभ नहीं होता।उपाय:*

*(1) दूध और चीनी दान करें।*
*(2) बृहस्पति के उपाय उपयोगी रहेंगे।*

*केतु का छठें भाव में फल- छठवां घर बुध का होता है। यहां केतू दुर्बल माना जाता है। हालांकि यह केतू का पक्का घर होता है। यहां केतू के परिणाम बृकस्पति की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। यह संतान के लिए अच्छे परिणाम देता है। जातक एक अच्छा सलाहकार होता है। यदि बृहस्पति शुभ हो तो जातक दीर्घायु होता है। मां खुशहाल होती है और जीवन शांतिपूर्ण होता है। यदि कोई भी दो पुरुष ग्रह जैसे सूर्य, बृहस्पति, मंगल अच्छी स्थित में हों तो केतू शुभ परिणाम देता है।यदि केतु छठे भाव में अशुभ है तो मामा परेशान रहता है। जातक भी बेकार की यात्राओं से परेशान रहता है। लोग बिना कारण के दुश्मन बन जाते हैं। जातक त्वचा रोग से परेशान रहता है। यदि चंद्रमा दूसरे भाव में हो तो मां परेशान होती है और स्वयं जातक की बृद्धा अवस्था परेशानियों में गुजरती है।उपाय:*

*(1) बाएं हाथ की उंगली में सोने की अंगूठी पहनें।*
*(2) दूध में केसर डालकर पियें और कान में सोना पहनें।*
*(3) सोने की सलाई गर्म करके दूध में बुझाएं और इसके बाद उस दूध को पियें इससे मानसिक शांति बढेगी, आयु वृद्धि होगी और यह बेटों के लिए भी अच्छा रहेगा।*
*(4) एक कुत्ता पालें।*

*केतु का सातवें भाव में फल- सातवां घर बुध और शुक्र का होता है। यदि सातवें भाव में स्थित केतू शुभ हो तो जातक चौबीस साल से लेकर चालीस साल तक खूब धन कमाएगा। जातक के बच्चों के अनुपात में धन की बृद्धि होती है। जातक के दुश्मन जातक से डरते हैं। यदि जातक को बुध, बृहस्पति अथवा शुक्र का सहयोग मिलता है तो जातक को कभी भी निराश नहीं होना पडता। यदि सातवें भाव में केतू अशुभ हो तो जातक अक्सर बीमार रहता है, बेकार के वादे करता है और तैतीस साल की अवस्था तक शत्रुओं से पीडित रहता है। यदि लग्न में एक से अधिक ग्रह हों तो जातक के बच्चे नष्ट हो जाते हैं। यदि जातक गालियां देता है तो जातक नष्ट होता है। यदि केतू बुध के साथ हो तो चौतीस सालों के बाद जातक के शत्रु अपने आप नष्ट हो जाते हैं।उपाय:*

*(1) झूठे वादे, घमंड और गाली देने से बचे।*
*(2) माथे पर केसर का तिलक लगाएं।*
*(3) गंभीर संकट या कष्ट के समय बृहस्पति के उपचार करें।*

*केतु का आठवें भाव में फल- आठवां घर मंगल ग्रह का है, जो केतु का शत्रु है। यदि आठवें भाव में केतू शुभ है तो जातक को चौंतीस साल की उम्र में अथवा जात्क की बहन या पुत्री की शादी के बाद पुत्र की प्राप्ति होती है। यदि बृहस्पति या मंगल छठवें या बारहवें घर में हों तो केतू अशुभ परिणाम नहीं देता। चंद्रमा के दूसरे भाव में स्थित होने पर भी यही परिणाम मिलता है। यदि आठवें भाव में स्थित केतू अशुभ हो तो जातक की पत्नी बीमार रहती है। पुत्र का जन्म नहीं होता, यदि होता है तो मृत्यु हो जाती है। जातक मधुमेह या मूत्र रोग से ग्रस्त होता है। यदि शनि अथवा मंगल सातवें घर में हों तो जातक दुर्भाग्यशाली होता है। आठवें भाव में अशुभ केतू के होने की अवस्था में जातक का चरित्र उसके पत्नी के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। छब्बीस साल की उम्र के बाद वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं।उपाय:*

*(1) एक कुत्ता पालें।*
*(2) किसी मंदिर में काला और सफेद रंग वाला कंबल दान करें।*
*(3) भगवान गणेश की पूजा करें।*
*(4) कान में सोना पहनें।*
*(5) माथे पर केसर का तिलक लगाएं।*

*केतु का नौवें भाव में फल- नौवां घर बृहस्पति का होता है जो केतू के पक्षधर हैं। नौवें भाव में केतू उच्च का माना जाता है। ऐसा जातक आज्ञाकारी और भाग्यशाली होता है। जातक का धन बढता है। यदि केतू शुभ हो तो जातक अपने प्रयासों से धनार्जन करता है। प्रगति होगी लेकिन स्थानांतरण नहीं होगा। यदि जातक अपने घर में सोनें की ईंट रखे तो धानागमन होता है। जातक का पुत्र भविष्य का अनुमान लगाने में सक्षम होगा। जातक अपने जीवन का एक बहुत बडा हिस्सा विदेशी भूमि में व्यतीत करता है। यदि चंद्रमा शुभ हो तो जातक अपने ननिहाल वालों की मदद करता है। यदि यहां पर केतू अशुभ हो तो जातक मूत्र विकार, पीठ में दर्द, और पैरों की समस्या से ग्रस्त होता है। जातक के बच्चे मरते जाते हैं।उपाय:*

*(1) एक कुत्ते पालें।*
*(2) घर में सोने का एक आयताकार टुकड़ा रखें।*
*(3) कान में सोना पहनें।*
*(4) बड़ों का सम्मान करें, विशेषकर ससुर का सम्मान जरूर करें।*

*केतु का दसवें भाव में फल दसवां घर शनि का होता है। यहाँ के केतु के परिणाम शनि की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। यदि केतु शुभ हो तो जातक भाग्यशाली होता, अपने बारे में चिन्ता करने वाला होता है और अवसरवादी होता है। उसके पिता की मृत्यु जल्दी हो जाती है। यदि शनि छठवें भाव में हो तो जातक प्रसिद्ध खिलाड़ी होता है। यदि जातक अपने भाइयों को उनके कुकर्मों के लिए क्षमा करता है तो उसकी तरकी होगी। यदि जातक का चरित्र अच्छा हो तो वह बहुत धन कमाता है। यदि दसम भाव में अशुभ केतु हो तो जातक मूत्र विकार और कान की समस्याओं से ग्रस्त होता है। जातक को हड्डियों में दर्द होता है। यदि शनि चतुर्थ भाव में हो तो जातक का घरेलू जीवन चिंताओं और परेशानियों से भरा होता है। जातक के तीन पुत्रों की मृत्यु हो जाती है।उपाय:*

*(1) घर में शहद से भरा बर्तन रखें।*
*(2) घर में एक कुत्ता रखें विशेषकर अडतालिस साल की उम्र के बाद।*
*(3) व्यभिचार से बचें।*
*(4) चंद्रमा और बृहस्पति का उपचार करें।*

*केतु का ग्यारहवें भाव में फल- यहाँ केतु बहुत अच्छा माना जाता है। यह धन देता है। यह घर बृहस्पति और शनि से प्रभावित होता है। यदि केतु यहाँ शुभ हो, और शनि तीसरे घर में हो तो यह बहुत धन देता है, जातक के द्वारा अर्जित धन उसके पैतृक धन से अधिक होगा, लेकिन फिर भी उसे अपने भविष्य के बारे में चिंता करने की आदत होगी। यदि बुध तीसरे भाव में हो तो यह एक राज योग होगा। यदि केतू यहां अशुभ हो तो जातक को पेट की परेशानी होती है। वह भविष्य के बारे में बहुत चिंता करता है, और बहुत परेशान होता है। यदि शनि भी अशुभ हो तो जातक की दादी अथवा माँ परेशान होती है। साथ की जातक को पुत्र या घर से कोई लाभ नहीं होता।उपाय:*

*(1) काला कुत्ता पालें।*
*(2) गोमेद या पन्ना पहनें।*

*केतु का बारहवें भाव में फल-  यहाँ केतु को उच्च का माना जाता है। जातक अमीर होगा, बडा पद प्राप्त करेगा, और अच्छे कामों को समर्पित होगा। यदि राहू छठवें भाव में बुध के साथ हो तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। जातक को सभी तरह के लाभ और विलासिता की चीजों की प्राप्ति होती है। यदि 12वें घर में स्थित केतु अशुभ है तो जातक किसी निस्संतान व्यक्ति से भूमि खरीदता है और खुद भी निस्संतान हो जाता है। यदि जातक किसी कुत्ते को मार देता है तो केतु हानिकर परिणाम देता है। यदि दूसरे भाव में चंद्रमा, शुक्र या मंगल ग्रह हों तो केतु हानिकर परिणाम देता है।उपाय:*

*(1) भगवान गणेश की पूजा करें।*
*(2) चरित्र ढीला न रखें।*
*(3) एक कुत्ता पालें।*
*(4) रात में अच्छी नींद के लिए तकिये के नीचे खांड और सौंफ रखें।*
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पँ अभिषेक कुमार

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